स्वामी वासुदेवाचार्य ‘विद्याभास्कर’ जी ने आदम एवं हव्वा को बताया स्वायम्भुव मनु एवं शतरूपा, निग्रहाचार्य ने किया शास्त्रीय खण्डन। कथावाचक कृष्णचन्द्र ठाकुरजी के व्यासपीठ से वर्णसङ्करता को प्रसारित करने वाले वक्तव्य की निग्रहाचार्य के द्वारा भर्त्सना। निग्रहाचार्य श्रीभागवतानंद गुरु ने बताया कि कैसे उनसे मिला जा सकता है अथवा उन्हें आर्थिक अनुदान देने की क्या व्यवस्था है ? स्वयं को अपशब्द बोलने वाले लोगों के लिए क्या कहा निग्रहाचार्य ने ?
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